प्रदूषण की समस्या

Essay on pollution in hindi | pradushan ki samasya in hindi | paryavaran pradushan ki samasya

प्रदूषण का अर्थ है- दुषित करना। हमारे चारों ओर प्रकृति ने जो जीवन-रक्षक कवच बनाया है उसे पर्यावरण कहते हैं। प्रदूषण की समस्या प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के लिए अज्ञात थी। यह वर्तमान युग की औद्योगिक प्रगति एवं शस्त्रास्त्रों के निर्माण के फलस्वरूप उत्पन्न हुई है। आज इसने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है। प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्धि के लिए हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है।
Essay on pollution in hindi | pradushan ki samasya in hindi | paryavaran pradushan ki samasya
चर्म उद्योग, कागज उद्योग, छपाई उद्योग, वस्त्र उद्योग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखो लीटर की मात्रा में रोज नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जो कि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलिन हो गया है। वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में जहर घोल रही हैं। प्रगति और समृद्धि के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गए हैं।
Essay on pollution in hindi | pradushan ki samasya in hindi | paryavaran pradushan ki samasya
हमारी हालत साप-छछंदर जैसी हो रही है। प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मलून न भी हो सके तो हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे। प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिए। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिए। ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी जबकि वाहनों का अंधा-धुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बनें और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाऊडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।
Essay on pollution in hindi | pradushan ki samasya in hindi | paryavaran pradushan ki samasya
औद्योगिक विकास के साथ-साथ बढ़ती हुई प्रदूषण की समस्या का राष्ट्रीय स्तर पर विचार करना चाहिए और समस्या के निराकरण हेतु कारगर उपाय काम में लाए जाने चाहिए। थोड़ी-सी सावधानी से हम नागरिकों को बढ़ते हुए प्रदूषण से बचाकर जन-साधारण के स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकते हैं। आज तकनीकी ज्ञान के बल पर मानव विकास की दौड़ में एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ में लगा है। इस होड़ में वह अपने तकनीकी ज्ञान का ऐसा गलत उपयोग कर बैठता है जो संपूर्ण मानवता के लिए विनाश का कारण बन जाता है। प्रसन्नता की बात है कि भारत सरकार प्रदूषण की समस्या के प्रति काफी जागरूक है। उसने सन् 1974 में जल प्रदूषण निवारण अधिनियम लागू किया है।
Essay on pollution in hindi | pradushan ki samasya in hindi | paryavaran pradushan ki samasya
इसके अतिरिक्त एक केंद्रीय बोर्ड तथा प्रदेशों में प्रदूषण निवारण बोर्ड गठित किए गए हैं। इसी प्रकार नए उद्योगों को लाइसेंस देने और वनों की कटाई रोकने की दिशा में भी कठोर नियम बनाए गए हैं। गंगा की सफाई भी इस योजना में सरकार का सराहनीय कदम है। वृक्षारोपण का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर जोर-शोर से चलाया जा रहा है। यदि जनता भी अपने ढंग से कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दे तो हम अवश्य ही प्रदूषण से बच सकेंगे।

0 Comments